Ae Dil Kahan Teri Manzil

द्विजेन मुखेर्जी, Lata Mangeshkar

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ ऐ दिल कहाँ तेरि मंज़िल ना कोई दीपक है ना कोई तारा है गुम है ज़मीं दूर आसमाँ ऐ दिल कहाँ तेरि मंज़िल ना कोई दीपक है ना कोई तारा है गुम है ज़मीं दूर आसमाँ ऐ दिल कहाँ तेरि मंज़िल आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ किस लिये मिल मिल के दिल टूटते हैं किस लिये बन बन महल टूटते हैं किस लिये दिल टूटते हैं ओ ओ किस लिये मिल मिल के दिल टूटते हैं (आ आ आ) किस लिये बन बन महल टूटते हैं (आ आ आ) किस लिये दिल टूटते हैं पत्थर से पूछा शीशे से पूछा ख़ामोश है सब कि ज़बाँ ऐ दिल कहाँ तेरी मंज़िल ना कोई दीपक है ना कोई तारा है गुम है ज़मीं दूर आसमाँ ऐ दिल कहाँ तेरि मंज़िल आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ ढल गये नादाँ वो आँचल के साये रह गये रस्ते में अपने पराये रह गये अपने पराये ओ ओ ढल गये नादाँ वो आँचल के साये (आ आ आ) रह गये रस्ते में अपने पराये (आ आ आ) रह गये अपने पराये आँचल भी छूटा साथी भी छूटा ना हमसफ़र ना कारवाँ ऐ दिल कहाँ तेरी मंज़िल ना कोई दीपक है ना कोई तारा है गुम है ज़मीं दूर आसमाँ ऐ दिल कहाँ तेरी मंज़िल ना कोई दीपक है ना कोई तारा है गुम है ज़मीं दूर आसमाँ ऐ दिल कहाँ तेरी मंज़िल

Written by: MAJROOH SULTANPURI, SALIL CHOUDHURYLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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