Saath Hum Rahein

Amitabh Bhattacharya, Jubin Nautiyal, Devi Sri Prasad

जले जब सूरज तब साथ हम रहें ढले जब चंदा तब साथ हम रहें हँसी जब छलके तब साथ हम रहें हों भीगी पलकें तब साथ हम रहें खुद की परछाईयाँ चाहे मूह मोड़ लें वास्ता तोड़ लें तब भी साथ हम रहें है हमें क्या कमी हम बिछा कर ज़मीन आस्मा ओढ़ लें यूँ ही साथ हम रहें जले जब सूरज तब साथ हम रहें ढले जब चंदा तब साथ हम रहें हँसी जब छलके तब साथ हम रहें हों भीगी पलकें तब साथ हम रहें खुशरंग जिस तरहा है ज़िंदगी अभी इसका मिज़ाज ऐसा ही उम्र भर रहे, उम्र भर रहे भूले से भी नज़र लग जाए ना कभी मासूम खूबसूरत ही इस क़दर रहे, इस क़दर रहे जो बादल छाए तब साथ हम रहें बहारें आयें तब साथ हम रहें जले जब सूरज तब साथ हम रहें ढले जब चंदा तब साथ हम रहें दिन इतमीनान के या इंतेहाँ के जो भी नसीब हों मिलके बाँटते रहें बाँटते रहें काँटों के बीच से थोड़ा संभाल के नाज़ुक सी पत्तियाँ मिलके छाँटते रहें छाँटते रहें दिखें जब तारे तब साथ हम रहें बुझें जब सारे तब साथ हम रहें जले जब सूरज तब साथ हम रहें ढले जब चंदा तब साथ हम रहें

Written by: Amitabh BhattacharyaLyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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