Beqaraan Kaynaat
Pratibha Singh Baghel, Deepak Pandit
तिनका तिनका लम्हे तोड़े
सारी रात कटाई की
तिनका तिनका लम्हे तोड़े
सारी रात कटाई की
क्यूँ इतनी लम्बी होती है
चाँदनी रात जुदाई की
हाँ आ आ हाँ आ आ
बेक़रार कायनात है शायद
बेक़रार कायनात है शायद
इतनी लम्बी ये रात है शायद
इतनी लम्बी ये रात है शायद
बेकरां क़ायनात है शायद
दास्ताँ को सुनाए जाता है
दास्ताँ को सुनाए जाता है
दास्ताँ को सुनाए जाता है
दास्ताँ को सुनाए जाता है
ये हमारी ही बात है शायद
ये हमारी ही बात है शायद
इतनी लम्बी ये रात है शायद
इतनी लम्बी ये रात है शायद
बेकरां क़ायनात है शायद
दूर से भी नहीं छुआ उसने
दूर से भी नहीं छुआ उसने
ना ना ना
दूर से भी नहीं छुआ उसने
दूर से भी नहीं छुआ उसने
अपनी ऐसी ही ज़ात है शायद
अपनी ऐसी ही ज़ात है शायद
वक़्त सब दर्ज करता रहता है
आ आ आ आ
वक़्त सब दर्ज करता रहता है
वक़्त सब दर्ज करता रहता है
हो वक़्त सब दर्ज करता रहता है
आँख गहरी दवायत है शायद
आँख गहरी दवायत है शायद
इतनी लम्बी ये रात है शायद
इतनी लम्बी ये रात है शायद
बेकरां क़ायनात है शायद
Written by: GulzarLyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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