Uski Akhon Men Koi

Bhupinder Singh

उसकी आँखों में कोई ख्वाब भी जलता होगा उसकी आँखों में कोई ख्वाब भी जलता होगा अपना घर जिसने सुलगते हुए देखा होगा उसकी आँखों में कोई ख्वाब भी जलता होगा कोई साहिल पे खड़ा कब से साड्डा देते हैं कोई साहिल पे खड़ा कब से साड्डा देते हैं मोज दर मोज मुझे डूब के जाना होगा मोज दर मोज मुझे डूब के जाना होगा उसकी आँखों में कोई ख्वाब भी जलता होगा संग बारी की खबर सुन के ख़याल आता हैं संग बारी की खबर सुन के ख़याल आता हैं कोई शीशे का बदन शहेर में लाया होगास कोई शीशे का बदन शहेर में लाया होगास उसकी आँखों में कोई ख्वाब भी जलता होगा.

Written by: Ahmed Wasi, Bhupinder Singh BathLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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