Jine Marne Ka Chakkar Ka

भूपिंदर सिंह

उबी आँखो मे टूटी हुए नींद हैं रंग अलग सा, अलग सी हैं जीवन की लैय उबी आँखो मे टूटी हुए नींद हैं रंग अलग सा, अलग सी हैं जीवन की लैय उबी आँखो मे जीने मरने के चक्कर का अंजाम क्या जीने मरने के चक्कर का अंजाम क्या ये समय क्या, सवेरा क्या, ये शाम क्या रीत कैसी हैं ये, क्या तमाशा हैं ये कैसा सिद्धांत है, कैसा ये इंसाफ़ हैं कितने दिल हैं, के जिनमे हैं चिंगारिया कितने दिल हैं, के जिनमे हैं चिंगारिया देखने को सभी कुछ बहुत शांत हैं उबी आँखो मे टूटी हुए नींद हैं रंग अलग सा, अलग सी हैं जीवन की लैय उबी आँखो मे सर छुपाने को छाया नही ना सही बस ही जाएगी बस्ती कोई फिर नयी अपने हाथो मे शक्ति हैं बाकी अभी ज़ुल्म के काले घेरे उखाड़ जाएँगे सह चुके हम बहुत, अब ना सह पाएँगे ना सह पाएँगे प्राण जाए मगर, अब तो लड़ जाएँगे काली रातो के पीछे, सवेरा भी हैं कोई सुंदर भविष्य, तेरा मेरा भी हैं काली रातो के पीछे, सवेरा भी हैं कोई सुंदर भविष्य, तेरा मेरा भी हैं काली रातो के पीछे, सवेरा भी हैं

Written by: HRIDAYNATH MANGESHKAR, MADHOSH BILGRAMILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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