Ek Kali Do Pattiyan
Bhupen Hazarika
एक कली दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उंगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कली दो पत्तियाँ
रटानपुर बगीचे में
एक कली दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उंगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कली दो पत्तियाँ
रटानपुर बगीचे में
फूलके खिलखिलती
सावन बरसाती
हंस रही हैं कौन ये
मोगरी जगाती मोगरी जगाती
फूलके खिलखिलती
सावन बरसाती
हंस रही हैं कौन ये
मोगरी जगाती मोगरी जगाती
एक कली दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उंगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कली दो पत्तियाँ
रतनपुर बगीचे में
जुगनू और लक्ष्मी
की लगन ऐसी आई
डाली डाली झूमे
लेके अंग्राई हो लेके अंग्राई
जुगनू और लक्ष्मी
की लगन ऐसी आई
डाली डाली झूमे
लेके अंग्राई हो लेके अंग्राई
एक कली दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उंगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कली दो पत्तियाँ
रतनपुर बगीचे में
जुगनू और लक्ष्मी
की प्रीत रंग लाई
नन्हे से एक मुन्ने
से चूँकि जगमगाई
से चूँकि जगमगाई
जुगनू और लक्ष्मी
की प्रीत रंग लाई
नन्हे से एक मुन्ने
से चूँकि जगमगाई
से चूँकि जगमगाई
एक कली दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उंगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कली दो पत्तियाँ
रतनपुर बगीचे में
एक कली दो पत्तियाँ
खिलने भी ना पाई थी
तोड़ने उस बाग़ीचे में
दानव आया रे हो
दानव आया हरी
दानव की पर्छाई में
काँप रही थी पत्तियाँ
बुझ ने लगी मासूम कली
दानव की पर्छाई में
दानव की पर्छाई में
साए से बेदार हुए
तांबरन सी बाहों में
साए से बेदार हुए
तांबरन सी बाहों में
ढोल माडल बजने
लगी माडल ऐसी बाजे
रे लाखों मिलके नाचे रे
आया एक तूफान नया
दानव डार्क भाग गया
माडल ऐसे गरजा रे
दानव डरके भगा
दानव डरके भगा
एक कली दो पत्तियाँ
नाज़ुक नाज़ुक उंगलियाँ
तोड़ रही हैं कौन ये
एक कली दो पत्तियाँ
रतनपुर बगीचे में
रतनपुर बगीचे में
रतनपुर बगीचे में
Written by: Dr Bhupen Hazarika, GulzarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
Create your own version of your favorite music.
Sing now