Saawan Ka Mahina Aaya Hai

Anuradha Paudwal, Mohammed Aziz

सावन का महीना आया हैं घटा से बरसा है पानी वे माहिया बुझा दे प्यास जिया दी हो सावन का महीना आया हैं घटा से बरसा है पानी वे माहिया बुझा दे प्यास जिया दी हो ऐसे में जो तूने मुझको छुआ मेरी भी बहकी जवानी वे माहिया बुझा दे आग की आंधी हो तेरे हुस्न शबाब की बात हुयी या मदिरा की बरसात हुई या मदिरा की बरसात हुई मौसम भी शराबी लगता हैं मुझे भी चढ़िया नशा वे ओय माहिया बुझा दे प्यास जिया दी हो ऐसे में जो तूने मुझको छुआ मेरी भी बेहकी जवानी वे माहिया बुझा दे आग की आंधी हो आ आ आ आ आ आ कोई जोर ना दिल पे चलता हैं बारिश में बदन मेरा जलता हैं बारिश में बदन मेरा जलता हैं बूंदो में छुपी हैं चिंगारी हवा भी सुइयाँ चुभाये वे माहिया बुझा दे आग की आंधी हो सावन का महिना आया है घटा से बरसा है पानी वे माहिया बुझा दे प्यास जिया दी हो आ आ आ आ आ आ हम मिलते रहे जनम जनम न होंगे जुदा हम मिलके सनम न होंगे जुदा हम मिलके सनम आ एक दूजे में खो जाये रहे ना कोई भी दूरी वे माहिया बुझा दे आग की आंधी हो सावन का महिना आया है घटा से बरसा है पानी वे माहिया बुझा दे प्यास जिया दी हो

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