Dhire Dhire

Anuradha Paudwal

शाम ढाल रही हैं शाम ढाल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धड़कन मचल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे मुश्किल हैं दिल बचना मिल जाए कोई दीवाना अपना उससे बना लून धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे शाम ढाल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धड़कन मचल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे मुश्किल हैं दिल बचना मिल जाए कोई दीवाना अपना उससे बना लून धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे घर में बैठी रहूं पर दिल मेरा पांच्ची बन उडद जाए घर में बैठी रहूं पर दिल मेरा पांच्ची बन उडद जाए जाम की आँखों से ही मुझ को जाने क्या क्या खाब दिखाए प्यार की मीठी बाते कोई कानो में कह जाए धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे हन शाम ढाल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे उमरा बहोट नझुक हैं मुझसे बोले सारी सखियाँ उमरा बहोट नझुक हैं मुझसे बोले सारी सखियाँ नैन किसी से मिल जाए तो झुक जाती हैं मेरी आखियाँ दीवाना होके मॅन मेरा गीत मिलन के गाए धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे शाम ढाल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे मिल गया हैं मुझे कोई अपना आज मिलन का हैं वादा मिल गया हैं मुझे कोई अपना आज मिलन का हैं वादा जीना मारना साथ हैं उसके दिल का हैं ये इरादा वो आँखों के रास्ते मेरे दिल में उतरता जाए धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे शाम ढाल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धड़कन मचल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे मुश्किल हैं दिल बचना मिल जाए कोई दीवाना अपना उससे बना लून धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे हन शाम ढाल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धड़कन मचल रही हैं धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे

Written by: LALIT SEN, NAWAB ARZOOLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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