Hazaron Khwahishen Aisi
Sukhwinder Singh, Richa Sharma, Shatanu Mukherjee, Anup Jalota
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, के हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं, जिस काफ़िर पे दम निकले
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम
खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा ना हो यान भी वही काफ़िर सनम निकले
कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म ह ह ह ह ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म ह्म्म्म्मह ह ह ह ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म
Written by: Ghalib Mirza (Traditional), Jagjit SinghLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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