Bagiya Ke Amrud

Alka Yagnik

बगिया के अमरूद कहे और बोले मेरा तोता यहा तेरा प्रीतम होता तो कितना अच्च्छा होता गुंज रही है मेरे मन मे शादी की शहनाई जब से देखा आपको मैने नींद नही फिर आई डोली लेकर कब आएँगे प्रीतम तेरे द्वारे लग्न हमारा कब होगा यह पूछ रहे है सारे बगिया के अमरूद कहे और बोले मेरा तोता यहा तेरा प्रीतम होता तो कितना अच्च्छा होता ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना हम बिना आपके व्याकुल रहता है यह ह्रदय मेरा मुरझाया लगता है मुझको इन फुलो का चेहरा जल्दी आना मिलने मुझसे मेरे मन के वासी वरना ये फुलो की बेले बन जाएँगी फासी सोच रहे है हाथ मेरे ये बाते कैसे लिखे कब तक बात निहारेगे कब तक धीरज रखे बागो की कलिया कहती है की थक गये नैन हमारे लग्न हमारा कब होगा यह पूछ रहे है सारे बगिया के अमरूद कहे और बोले मेरा तोता यहा तेरा प्रीतम होता तो कितना अच्च्छा होता ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना ना हम देख के पहली बार आपको आँखे झूम रही थी आपकी प्यारी सूरत को नजरो से चूम रही थी तबसे लेकर अब तक हर पल इक इक युग लगता है वैसे कौन किसी को इतने प्यार से खत लिखता है केह दी है मन की बाते और नही है कुछ कहना पत्र मे हो ग़लती कोई उसको आप क्षमा करना नाम आपका पत्ता पत्ता लेकर रोज पुकारे लग्न हमारा कब होगा यह पूछ रहे है सारे बगिया के अमरूद कहे और बोले मेरा तोता यहा तेरा प्रीतम होता तो कितना अच्च्छा होता सा सा सा सा नि सा रे सा प म प प ध नि ग म प ग सा सा सा सा सा सा सा नि सा रे प प प ध नि ग म प रे सा सा

Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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