Bheegi Bheegi Raato Mein

Pragya, Abhimanyu, Lata Mangeshkar, Kishore Kumar

भीगी भीगी रातों में मीठी मीठी बातों में ऐसी बरसातों में कैसा लगता है हाँ ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो अंबर खेले होली उइ माँ भीगी मोरी चोली हमजोली हमजोली अंबर खेले होली उइ माँ भीगी मोरी चोली हमजोली हमजोली हो पानी के इस रेले में सावन के इस मेले में छत पे अकेले में कैसा लगता है ऐसा लगता है तुम बनके घटा अपने सजन को भीगो के खेल खेल रही हो खेल रही हो ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो

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