Ab Ke Sajan Sawan Mein

Pragya, Abhimanyu, Lata Mangeshkar

अब के सजन सावन में अब के सजन सावन में आग लगेली बदन में घटा बरसेगी मगर तरसेगी नज़र मिल न सकेंगे दो मन एक ही आँगन में अब के सजन सावन में आग लगेली बदन में घटा बरसेगी मगर तरसेगी नज़र मिल न सकेंगे दो मन एक ही आँगन में अब के सजन सावन में दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारें (दीवारें दीवारें) दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारें कैसे सुनूँगी मैं पिया प्रेम की पुकारें (पुकारें पुकारें) चोरी चुपके से तुम लाख करो जतन लाख करो जतन सजन मिल न सकेंगे दो मन एक ही आँगन में (आँगन में आँगन में) अब के सजन सावन में आग लगेली बदन में घटा बरसेगी मगर तरसेगी नज़र मिल न सकेंगे दो मन एक ही आँगन में (आँगन में आँगन में) अब के सजन सावन में (अब के सजन सावन में0

Written by: ANAND BAKSHI, ANANDSHI BAKSHI, NAYAN MONI BURMAN, S D Burman, S.D. BURMANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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