Chhod Aaye Hum

अभिजीत सावंत, श्रीरामा चंद्र

छोड़ आये हम वो गलियाँ छोड़ आये हम वो गलियाँ वो गलियाँ छोड़ आये हम वो गलियाँ छोड़ आये हम वो गलियाँ जहाँ तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे हँसे तो दो गालों में भंवर पड़ा करते थे हो जहाँ तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे हँसे तो दो गालों में भंवर पड़ा करते थे ओह तेरी कमर के बल पे नदी मुड़ा करती थी हंसी तेरी सुन सुनके फसल पका करती थी छोड़ आये हम वो गलियाँ छोड़ आये हम वो गलियाँ हम्म जहाँ तेरी एड़ी से धूप उड़ा करती थी सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है हो हो हो जहाँ तेरी एड़ी से धूप उड़ा करती थी सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है हाय हाय लटों से उलझी लिपटी इक रात हुआ करती थी हो कभी कभी तकिये पे वो भी मिला करती है छोड़ आये हम वो गलियाँ छोड़ आये हम वो गलियाँ दिल दर्द का टुकड़ा है पत्थर की डली सी है इक अँधा कुआँ है या इक बंद गली सी है इक छोटा सा लम्हां है जो ख़त्म नहीं होता मैं लाख जलाता हूँ ये भस्म नहीं होता ये भस्म नहीं होता छोड़ आये हम वो गलियाँ छोड़ आये हम वो गलियाँ

Written by: GULZAR, VISHAL BHARADWAAJLyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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