Ummed Ki Koi Shama Jalti Nahin

Abhijeet Bhattacharya

उम्मीद की कोई शमां जलती नहीं क्यूँ रात ये गम की मेरे ढ़लती नहीं उम्मीद की कोई शमां जलती नहीं क्यूँ रात ये गम की मेरे ढ़लती नहीं रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु कई बार जो गये थे कहीं जाके खो गये थे वो मौसम तो फिर आ गये हाँ हमें जो भिगो गये थे नशे में डूबो गये थे वो बादल तो फिर छा गये लेकिन खबर महबूब की मिलती नहीं क्यूँ रात ये गम की मेरे ढ़लती नहीं उम्मीद की कोई शमां जलती नहीं क्यूँ रात ये गम की मेरे ढ़लती नहीं ये कैसी है बेवफाई मेरी याद भी ना आयी बहुत मैंने चाहा जिन्हें हाँ तसव्वुर में छाये हैं वो जहन में समाये हैं वो तो मैं कैसे भुलूँ उन्हें उनके बिना दिल की कली खिलती नहीं क्यूँ रात ये गम की मेरे ढ़लती नहीं उम्मीद की कोई शमां जलती नहीं क्यूँ रात ये गम की मेरे ढ़लती नहीं ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म

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