kho gaya

ज़ाएदेन, Yashraj

कुछ ही दिन से हूँ मैं भी गिनता दिन यहा जैसे कोई ढूँढे बेवजह जीने की वजह मिलने हैं आई मुझसे वो रातें मुझसे वो यादें बार बार क्यूँ दूर हैं तू फिर भी यहीं हैं करता हूँ इंतेज़ार जाने यह क्या हो गया में क्यूँ तन्हा हो गया तेरी यादों में में क्यूँ जाने क्यूँ मैं खो गया जाने यह क्या हो गया जाने दो जो भी हुआ सोचा करता हू में क्यूँ जाने क्यूँ में खो गया कैसे अब कहु तुमसे जो ना केह सका मुझको कोई समझे ना तू बता तू क्या ले गया मिलने हैं आई मुझसे वो रातें मुझसे वो यादें बार बार थोड़ा सा ही दूर थोड़ा सा ग़लत में आओ ना एक बार जाने यह क्या हो गया में क्यूँ तन्हा हो गया तेरी यादों में में क्यूँ जाने क्यूँ मैं खो गया जाने यह क्या हो गया जाने दो जो भी हुआ सोचा करता हूँ में क्यूँ जाने क्यूँ में खो गया जाने क्यूँ में खो गया हूँ तुझको मिलकर आँखो में थी बातें पर यॅ होट मेरे सिलकर चुप ख़तम तो हुआ था मिले ना हम सालों में पर जबही खोए यादों में तू ढूंढ ना गानो में सच खैर बीतेंगे साल और खड़ा में stage पे भाईं सारे करे रेज और नज़ारे पड़ती लोगो बीच में वाहा पे खड़ी अकेली तू भीड़ में सोचु की सपना हैं या नसीब हैं दिल पे जो रहता वो आँखो पे ना हैं यकीन पर खुद को पूछता रहता repeat पे जाने यह क्या हो गया में क्यूँ तन्हा हो गया तेरी यादों में में क्यूँ जाने क्यूँ मैं खो गया जाने यह क्या हो गया जाने दो जो भी हुआ सोचा करता हूँ में क्यूँ जाने क्यूँ में खो गया

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