Khoon Ki Khushboo

Sunidhi Chauhan, Vishal Bhardwaj, Gulzar

सौंधी है खून की खुशबू महकी रे खून की खुशबू दिलो में वो बनके रखता है मिट्टी में टपकता रहता है खंडर है दिल बंजार है वीराने का मंजर है आंखों में लहू, लहू आंसू सौंधी है खून की खुशबू महकी रे खून की खुशबू लास का कलावा है मौत का बुलावा है गुरुर भोक्ता है सुन, सुन, सुन सुन सुन सुन सुनाई देता है सुनाई देता है इमान भी बेईमान है गुनाहों के कारोबार है बिकती कोटि कोडियां आबरू सौंधी है खून की खुशबू महकी रे खून की खुशबू दूर दूर तक ये बहकेगा एक एक रूह कपेगी एक एक जिस्म बहकेगा शौंधी है खून की खुशबू

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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