Zara Thehro

तुलसी कुमार, Armaan Malik

ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें पास आओ और थोड़ा सर्द है रातें आसान होता तो मैं कब का कह चूका होता ऐसे तुम्हारे सामने खामोश ना रहता ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें पास आओ और थोड़ा सर्द है रातें मेरी आँखों में सांसों में पहले भी ये ख्वाब चलता रहा तेरी नींदों में चुपके से जाने से जाने क्यूँ डरता रहा बारिश की बूंदों सा ये दिल गिरता बरसता है तुम पास होते हो मगर फिर भी तरसता है ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें तुमको पाना चाहती हैं मेरी बरसातें आ कोई आये ना जाए ना आओ ना ऐसी जगह में ले चलूँ हाँ जहाँ वक़्त हमारा रुका हो और मैं अपने दिल की कहूँ धड़कन को अपनी एक पल आराम ना देना इस मोड़ पे आकर दिल को तोड़ ना देना ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें और थोड़ी देर चलने दो मुलाकातें हो ओ हो ओ हो ओ ओ ओ

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