Jaise Savan

Zahrah S Khan, Tanishk Bagchi

कोई जुड़ा ना हो किसी से कभी कोई बाकी ना हो बातें अनकही जिसे चाहे यह दिल वो रूठे अगर तू मानाले उसे झूता सही झूता ही सही मेरे लिए तो अजाओ ना जैसे सावन फिर से आते हैं तुम भी आओ ना जैसे बदल घिर के आते हैं तुम भी आओ ना जैसे सावन फिर से आते हैं तुम भी आओ ना जैसे बदल घिर के आते हैं तुम भी आओ ना जेया रही हूँ मैं तेरी होके शिकवे सारे खोके संग ले चली हूँ बीतन लम्हा आदतें यह थी जो मेरी हो गयी हैं सारी तेरी कैसे तू कहेगा खुदको तन्हा इश्स बार जब जाओगे तुम मुझे संग ले जाओ ना जैसे ल़ाहेरें लौट आती हैं तुम भी आओ ना जैसे घड़ियाँ रुक जाती हैं रुक जाओ ना जैसे सावन फिर से आते हैं तुम भी आओ ना जैसे घड़ियाँ रुक जाती हैं तुम भी जाओ ना हो ऊ हो ऊ

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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