Yeh Na Thi Hamaari Kismat
सुरैया
ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता
ये ना थी
ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता
ये ना थी ये ना थी
ये ना थी हमारी क़िस्मत
तेरे वादे पर जिये हम तो ये जान झूठ जाना
तेरे वादे पर जिये हम तो ये जान झूठ जाना
के खुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता
ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
ये ना थी ये ना थी
ये ना थी हमारी क़िस्मत
हुए मर के हम जो रुसवा हुए क्यूँ न घर्क़-ए-दरया
आह आ आह आ
हुए मर के हम जो रुसवा हुए क्यूँ न घर्क़-ए-दरया
न कभी जनाज़ा उठता न कहीं मज़ार होता
ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
ये ना थी ये ना थी
ये ना थी हमारी क़िस्मत
कोई मेरे दिल से पूछे
तेरे तीर-ए-नीम कश को
ये खलिश कहाँ से होती
जो जिगर के पार होता
Written by: GHULAM MOHAMMED, MIRZA GHALIBLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
Create your own version of your favorite music.
Sing now