Sari Duniya Ka Boj

शब्बीर कुमार

कुली ऐ कुली सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं उठाते हैं बोझ उठाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं लोग आते हैं लोग जाते हैं हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं चार का काम है एक का दाम है चार का काम है एक का दाम है खून मत पीजिए और कुछ दीजिए एक रुपैया है कम हम खुदा की कसम बड़ी मेहनत से रोटी कमाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं थोड़ा पानी पिया याद रब को किया भूख भी मिट गयी प्यास भी बुझ गयी थोड़ा पानी पिया याद रब को किया भूख भी मिट गयी प्यास भी बुझ गयी काम हर हाल में नाम को साल में ईद की एक छुट्टी मनाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं जीना मुश्किल तो है अपना भी दिल तो है दिल में अरमान हैं हम भी इंसान हैं जीना मुश्किल तो है अपना भी दिल तो है दिल में अरमान हैं हम भी इंसान हैं जब सताते हैं ग़म ऐश करते हैं हम जब सताते हैं ग़म ऐश करते हैं हम बीड़ी पीते हैं और पान खाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं लोग आते हैं लोग जाते हैं हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं

Written by: ANAND BAKSHI, LAXMIKANT PYARELALLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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