Samandaro Pe Baras Ke
Pankaj Udhas
जो आग लगाई थी तुमने
उसको तो बुझाया ना अश्को से
जो आग लगाई थी तुमने
उसको तो बुझाया ना अश्को से
जो ाश्क़ो ने भरकाई हैं
उस आग को ठंडा कौन करे
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
फिर आज जान के रास्ता
बदल गये बादल
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
बहुत दिनों से वो दोनो ही
तन्हा तन्हा थे
बहुत दिनों से वो दोनो ही
तन्हा तन्हा थे
गले मिली जो हवा तो
पिघल गये बादल
गले मिली जो हवा तो
पिघल गये बादल
फिर आज जान के रास्ता
बदल गये बादल
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
मेरे वजूद कर को
जलताल बनके आयेज बढ़े
मेरे वजूद कर को
जलताल बनके आयेज बढ़े
जो मेरी आनखा तपवाए
संभाल गये बादल
जो मेरी आनखा तपवाए
संभाल गये बादल
फिर आज जान के रास्ता
बदल गये बादल
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
ना जाने कौनसा घर
ज़ालिमो ने फूँक दिया
ना जाने कौनसा घर
ज़ालिमो ने फूँक दिया
बुलंद शोले थे इतने
झल गये बादल
बुलंद शोले थे इतने
झल गये बादल
फिर आज जान के रास्ता
बदल गये बादल
समंडारो पे बरस के
निकल गये बादल
फिर आज जान के रास्ता
बदल गये बादल
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
समंदरों पे बरस के
निकल गये बादल
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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