Mein Gaon Ki Bholi Naar

Pankaj Udhas

में गाओं की भोली नार में गाओं की भोली नार ये माटी मेरा रूप शृंगार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार ये माटी मेरा रूप शृंगार पिया मेरे शहरी हो गये सखी वो अँग्रेज़ी बोले सखी वो अँग्रेज़ी बोले मैं ठहरी अनपढ़ नार गँवार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार ना जाने तुम्हें हुआ क्या हैं ना जाने तुम्हें हुआ क्या हैं वो जब से कलकते से आए नही करते सीधे मुँह बात मैं कहना चाहू जी का हाल मैं कहना चाहू जी का हाल वो पढ़ते रहते अख़बार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार ना चट्टी मिट्टी घारी लगे ना फैली फैली अँगनाई ना चट्टी मिट्टी घारी लगे ना फैली फैली अँगनाई मस्ेहरी माँगे सोने को बुरी लगती हैं चार पाई ना बाजरे की रोटी मॅन भाए ना बाजरे की रोटी मॅन भाए ना घर आम का आचार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार सखी कुछ सोचते रहते हैं सखी कुछ सोचते रहते हैं वो सारी रात नही सोते मैं उनके पास तो होती हूँ वो मेरे पास नही होते जो परबत हो तो पार करूँ जो परबत हो तो पार करूँ ये दूरी कैसे करूँ मैं पार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार मैं भूखी प्यासी रह लेती मैं भूखी प्यासी रह लेती ना लेती कपड़ा और लत्ता सखिी जो ये सब जानती मैं ना जाने देती कलकत्ता जिन्हें बरसो में जीत सके जिन्हें बरसो में जीत सके गयी दो दिन में उनको हार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार ये माटी मेरा रूप शृंगार पिया मेरे शहरी हो गये सखी वो अँग्रेज़ी बोले सखी वो अँग्रेज़ी बोले मैं ठहरी अनपढ़ नार गँवार पिया मेरे शहरी हो गये में गाओं की भोली नार.

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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