Vismit Ho Kar Garud Prabhu Ke Mukh Ki Ore Nihare

Nitin Mukesh

विस्मित हो कर विस्मित हो कर गरुड़ प्रभु के मुख की ओर निहारे ये कैसे बंधन ये कैसे बंधन बीच बंधे ओ बंधन काटन हारे बंधन काटन हारे ब्रम्हास्त्र का मान न जाए बंधन मे स्वयं बँधाये तुम्हरी लीला हो तुम्हरी लीला तुम ही जानो राम रमापति प्यारे, राम रमापति प्यारे मूख देखत मन न धावे पुनि पुनि चरणन सिर नावे भूल गया हो भूल गया केहि कारण आया भक्ति विभोर भया रे मुख की ओर निहारे

Written by: Biju Narayanan, C. O. Anto, K. S. Chithra, M. G. Sreekumar, SujathaLyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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