Sabthah Para Rah

Mukesh

सब ठाठ पड़ा रह जावेगा सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा धन तेरे काम न आवेगा जब लाद चलेगा बंजारा जो पाया है वो बाँट के खा कंगाल न कर कंगाल न हो जो सबका हल किया तूने एक रोज़ वो तेरा हल न हो इस हाथ से दे उस हाथ से ले हो जावे सुखी ये जग सारा हो जावे सुखी ये जग सारा सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा क्या कोठा कोठी क्या बंगला ये दुनिया रैन बसेरा है क्यों झगड़ा तेरे मेरे का कुछ तेरा है न मेरा है सुन कुछ भी साथ न जावेगा जब कुछ का बाज़ा नाकारा जब कुछ का बाज़ा नाकारा सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा धन तेरे काम न आवेगा जब लाद चलेगा बंजारा एक बंदा मालिक बन बैठा हर बन्दे की किस्मत फूटी हा इतना मोहे फसानेका दो हाथों से दुनिया लूटी हे दोनों हाथ मगर खली उठा जो सिकंदर बेचारा उठा जो सिकंदर बेचारा सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा

Written by: Azmi Kaifi, KhaiyyaamLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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