Dil Zakhmon Se Choor

Geeta Dutt, Mohammed Rafi

ओ ओ दिल जख्मों से चूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ प्यार की मंज़िल दूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ दिल जख्मों से चूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ ओ ओ ओ ओ प्यार बढा के छोड़ दिया क्यूँ ओ ओ प्यार बढा के छोड़ दिया क्यों आस भरा दिल तोड़ दिया क्यों आस भरा दिल तोड़ दिया क्यों ज़ख्म हुए नासूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ प्यार की मंज़िल दूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ दिल जख्मों से चूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ ओ ओ ओ ओ प्यार किसी से करने वाले ओ ओ प्यार किसी से करने वाले प्यार की राह में मरने वाले प्यार की राह में मरने वाले होते हैं मजबूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ दिल जख्मों से चूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ प्यार की मंज़िल दूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ ओ ओ ओ ओ बीती बातें याद करेंगें ओ ओ बीती बातें याद करेंगें जीते जी फ़रियाद करेंगे जीते जी फ़रियाद करेंगे रहकर तुझसे दूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने ओ ओ प्यार की मंज़िल दूर मगर तू क्या जाने मगर तू क्या जाने

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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