Raat Ke Rahi Thak Mat Jana

एस. डी. बर्मन, Lata Mangeshkar

रात के राही रात के राही थक मत जाना सुबह की मंज़िल दूर नही दूर नहीं थक मत जाना ओ राही थक मत जाना रात के राही धरती के फैले आँगन में पल दो पल है रात का डेरा धरती के फैले आँगन में पल दो पल है रात का डेरा ज़ुल्म का सीना चिर के देखो झाँक रहा है नया सवेरा ढलता दिन मजबूर सही चढ़ता सूरज मजबूर नही मजबूर नही थक मत जाना हो राही थक मत जाना रात के राही सदियो तक चुप रहनेवाले एब्ब अपना हक लेके रहेंगे सदियो तक चुप रहनेवाले एब्ब अपना हक लेके रहेंगे जो करना है खुल के करेंगे जो कहना है साफ कहेंगे जीते जी घुट घुट कर मरना इश्स जग का दस्तूर नही, दस्तूर नही थक मत जाना हो राही थक मत जाना रात के राही टूटेंगी बोझल जंजीरे जागेंगी सोई तकदीरे टूटेंगी बोझल जंजीरे जागेंगी सोई तकदीरे लूट पे कब तक पहरा देंगी जुंग लगी खूनी शमशीरे रह नही सकता इश्स दुनिया में जो सब को मंजूर नही, मंजूर नही थक मत जाना हो राही थक मत जाना रात के राही

Written by: S.D. BURMAN, SAHIR LUDHIANVILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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