Neend Kabhi Rehti Thi Ankhon Mein

Laxmikant Pyarelal, Lata Mangeshkar

नींद कभी रहती थी आँखों में अब रहते हैं साँवरिया अब रहते हैं साँवरिया चैन कभी रहता था इस दिल में अब रहते हैं साँवरिया अब रहते हैं साँवरिया लोग मुझसे कहे देखो उधर निकला है चाँद कौन देखे उधर जाने किधर निकला है चाँद चाँद कभी रहता था नज़रों में अब रहते हैं साँवरिया अब रहते हैं साँवरिया झूठ बोली पवन कहने लगी आयी बहार हम बाग में गए देखा वह प्यार ही प्यार फूल रहते होंगे चमन में कभी अब रहते हैं साँवरिया अब रहते हैं साँवरिया बात पहले भी और तूफ़ान से डरते थे हम बात अब और है अब है हमें काहे का गम साथ कभी मांझी था संग लेकिन अब रहते हैं साँवरिया अब रहते हैं साँवरिया नींद कभी रहती थी आँखों में अब रहते हैं साँवरिया अब रहते हैं साँवरिया

Written by: ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMALyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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