Mere Taqdeer Ke Malik

Lata Mangeshkar

कहा से लेके आई है कहा मजबूरियाँ मेरी ज़ुबान खामोश आँखें कह रही है दास्तान मेरी मेरी तक़दीर के मालिक मेरा कुछ फ़ैसला कर दे बुरा चाहे बुरा कर दे भला चाहे भला कर दे मेरी तक़दीर के मालिक मुझे इतना बता दे मैं कहा जाऊ किधर जाऊ कही जाने से अच्छा है तेरे कदमों में मर जाऊ सहारा दे नही सकता तो फिर बेआसरा कर दे मेरी तक़दीर के मालिक नही दुनिया में मेरा दूसरा कोई ठिकाना हैं मुझे तो बस यही अपना मुक़द्दर आज़माना हैं लिया हैं दिल तो मेरी जान भी तंन से जुदा कर दे मेरी तक़दीर के मालिक मुझे बर्बाद करने में जो होता हो भला तेरा बुझा दे अपने हाथों से चरागे ज़िंदगी मेरा नही कोई गीला तुझसे अगर चाहे फनाह कर दे मेरी तक़दीर के मालिक

Written by: KUMAR HEMANT, S H BihariLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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