Mausam Ka Taqaaza Hai

Kavita Krishnamurthy, Kanwar Ajit Singh

मौसम का तकआजा है बहो से लिपट जाये सदियों की तमनाये लम्हों में सिमट जाये मौसम का तकाज़ा है बहो से लिपट जाये सदियों की तमनाये लम्हों में सिमट जाये मौसम का तकाज़ा है ख़्वाबों का नशि मन हो एहसास का आँगन हो दुःख सुख जो मिले हमको आपस में वो बाँट जायेगे तू मुझमें उतर जाये मैं तुझमें उतर जाऊ ऐसे में यह दिल चाहे परदे से भी हट जाये मौसम का तकाज़ा है बाहो से लिपट जाये सदियों की तमनाये लम्हों में सिमट जाये मौसम का तकाज़ा है फूलो की जिन्हे खवाइश काँटों पे वो चलते है किस्मत से मिली घडिया दर है न पलट जाये ठहरे न ये बरसते आँखों से कही बाते खामोश रहे हम तुम उम्र युही कट जाये मौसम का तकाज़ा है बहो से लिपट जाये सदियों की तमनाये लम्हों में सिमट जाये मौसम का तकाज़ा है बहो से लिपट जाये सदियों की तमनाये लम्हों में सिमट जाये मौसम का तकाज़ा है(हु हु आ आ )

Written by: AJIT SINGH, RAJESH JOHRILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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