पारह के पीछे ढेरो नीचे
तापटा था इक जोगी
पारह के पीछे ढेरो नीचे
तापटा था इक जोगी
लगी जो सुरती उस जोगी की
खंडित कैसे होगी
उसी ताड़ी पे हूर पारी
एक आई तापड़ँग करने
नाच नाच के गेया शर्मा के
च्छे लगी जब भरने
और कहाँ लगी
तरी चित्ति चित्ति चादर हो मत मैली कार्लो जी
ओ जोगी ओ जोगी माने चेली कार्लो जी
ओ जोगी ओ जोगी माने चेली कार्लो जी
सारे हुकाँ भरँगी सेवा करूँगी
पाओं दबौुंगी जी
ओ जोगी ओ जोगी माने चेली कार्लो जी
अंत ढा के रासांन निभा के उतरी
गंगा नहाने
हाड़ माज़ के कोइले कर दिए
खाल डाई रंगवाने
खाल डाई रंगवाने
आए जी हांजी तरी खूब करूँगी सेवा
तरी सेवा हन हुमऊँ जी
मारी आन रखो पाट’तेवा
अजी तेवा
एक पाओं पे धुनि रामौँगी
खड़ी रहूं जप ताप में
सुर्ग से बींसी ईके
उतरी तारा ध्यान लपक में
फिर रॅटॅन लगी
तरी चित्ति चित्ति चादर हो मत मैली कार्लो जी
ओ जोगी ओ जोगी माने चेली कार्लो जी
ओ जोगी ओ जोगी माने चेली कार्लो जी
सारे हुकाँ भरँगी सेवा करूँगी
पाओं दबौुंगी जी
ओ जोगी ओ जोगी माने चेली कार्लो जी
जैसे जैसे करोगे जैसे कहोगे
वैसे करगनि जी
ओह जोगी ओह जोगी
ओह जोगी जोगी जोगी जोगी
ओह जोगी जोगी जोगी जोगी
माने चेली कार्लो जी
Written by: KAILASH KHERLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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