Haq Hai

जोनिता गाँधी

चल खुल जायें तू और मैं ऐ दिल चल ढूँढे कोई नयी मंजिल यहाँ साए है घनघोर मेरी रूह रहे हैं निचोड़ चल जाते हैं सब छोड़ अगर तू सहमत है हक है हक है मुझे भी जीने का हक है हक है हक है मुझे भी जीने का हक है हक है हक है ह्म्‍म्म नहीं सिमट के बैठना साँसों को थामे नहीं तिल तिल मरना सुनके सौ ताने पीछे रात है आगे भोर आगे है सुकून पीछे शोर चल जाते हैं सब छोड़ अगर तू सहमत है हक है हक है मुझे भी जीने का हक है हक है हक है मुझे भी जीने का हक है हक है हक है हक है

Written by: PRASHANT INGOLE, SHREYAS PURANIKLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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