Ruka Hoon

जिगर सरैया, शलमली खोलगड़े

कहाँ है, कहाँ है मैने सौ बारियाँ एक और बारियाँ कहूँगा कहूँगा तू जब तक माने ना है दिल ने ठानी हां तू कितना सही है यह तो जाने ना मेरे लिए पर मेरा नहीं है यह हम जानके कैसे जीए हाथ एक दिल है और इस दिल में बस सौ बात की एक बात है, मेरी जान चाहे बीते दिन या बीत चाहे रात(चाहे बीते दिन) चाहे गुज़रे दस, या दस हज़ारों साल(चाहे गुज़रे दस) तेरे आगे मैं हो(तेरे आगे मैं हो) हमेशा से ही झुका हूँ मैं तो तेरे हाँ को रुका हूँ ह मैं तो तेरे हाँ के लिए रुकी हूँ सुना है, सुना है यह दिल का जो रिस्ता है वो कभी कभी हिस्ता है सुनूँगा मैं सुनूँगा तेरा हर सीकवा मैं तू हस्दी तो हंसदा मैं हो मैं तो तेरे हाँ को ही रुका हूँ जानेया(हो मैं तो तेरे हाँ को ही रुका हूँ जानेया) मैं तो तेरे हाँ को ही रुका हूँ जानेया ह्वॅन की करां मैं की करां मैं(ह्वॅन की करां मैं की करां मैं) की करां तू यह बता(की करां तू यह बता) ओह मैं ता ओह मैं ता ओह मैं ता तेरे बिन ना जीना(ओह मैं ता तेरे बिन ना जीना) मैं ता मर जाना(मैं ता मर जाना) मैं ता तेरे बिन ना जीना(मैं ता तेरे बिन ना जीना) मैं ता मर जाना(मैं ता मर जाना) तेरे हाँ को मैं साल ७५ रुक जाना(तेरे हाँ को मैं साल ७५ रुक जाना) ओह चंगा तेरे बिन ना जीना(ओह चंगा तेरे बिन ना जीना) मैं ता मर जाना(मैं ता मर जाना) मैं ता क़िस्सी नू भी प्यार किया ना कर पाणा ओह मैं ता तेरे बिन ना जीना(ओह मैं ता तेरे बिन ना जीना) मैं ता मार जाना(मैं ता मार जाना) तेरे हन को रुका हूँ

Written by: JIGAR MUKUL SARAIYA, SACHIN JAYISHORE SANGHVILyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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