Jabse Kareeb Ho Ke Chale

Jagjit Singh, Sachin Gupta

जबसे करीब हो के चले, जिंदगी से हम जबसे करीब हो के चले, जिंदगी से हम खुद अपने आने को लगे अजनबी से हम जबसे करीब हो के चले, जिंदगी से हम (आ आ आ आ ) आंखों के देके रोशनी, गुल कर दिए चराग आंखों के देके रोशनी, गुल कर दिए चराग तग आ चुके हैं वक्त की इस दिल्लगी से हम तग आ चुके हैं वक्त की इस दिल्लगी से हम अच्छे बुरे के फ़र्क ने बस्ती उजाड़ दी अच्छे बुरे के फ़र्क ने बस्ती उजाड़ दी मजबूर हो के मिलने लगे हर किसी से हम मजबूर हो के मिलने लगे हर किसी से हम

Written by: Fazli Nida, Jagjit SinghLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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