Lahron Pe Laher

हेमंत कुमार

लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां रातों की सहर चली आओ यहाँ सितारे टिमटिमाते हैं तू आजा आजा मचलती जा रही है ये हवाएं आजा आजा लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां रातों की सहर चली आओ यहाँ सुलगती चाँदनी में थम रही है तुझ पे नजर कदम ये किस तरफ़ बढ़ते चले जाते हैं बेखबर ज़माने को है भूले हम अजब सी ख्वाब ये सफ़र लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां रातों की सहर चली आओ यहाँ ना जाने कौनसी राहें हमारा कौन सा है जहान सहारे किसके हम ढूँढे, हमारी मंजिल है कहाँ सदा दिल की मगर कहती है मेरी दुनिया है यहाँ लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां रातों की सहर चली आओ यहाँ

Written by: Ratan, Snehal BhatkarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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