Man Bahot Anamana
Hariharan
मन बहोट आनमना फिर उदासी वहीं
मन बहोट आनमना फिर उदासी वहीं
जाने कैसी हवायें चली शाम से
मन की उलझन कहे, दिल की धड़कन कहे
आज उसने पुकारा मुझे नाम से
मन बहोट आनमना, फिर उदासी वहीं
हम समेटे हुए वेदना वक्ष में
हम संजोए हुए प्रीति मान में तेरी
हम समेटे हुए वेदना वक्ष में
हम संजोए हुए प्रीति मान में तेरी
मान का उपवन सुवासित तेरी श्वास से
निश्ी में सपने तेरे दिन में यादें तेरी
मान बहोट आनमना फिर उदासी वहीं
शाम से ही हवाओ में कितनी तपन
मान में कैसी तड़प टन में कैसी अगन
शाम से ही हवाओ में कितनी तपन
मान में कैसी तड़प टन में कैसी अगन
चाँद तारे कहें कह रहा है गगन
मान में उलझन तेरे कितनी मान में चुभन
मान बहोट आनमना फिर उदासी वहीं
मेरी राग राग में प्रियवर समाए हो तुम
मेरे गीतों के गुंजन में छ्चाए हो तुम
मेरी राग राग में प्रियवर समाए हो तुम
मेरे गीतों के गुंजन में छ्चाए हो तुम
मान की बीना है झाँकृत तेरे राग से
मान में इतनी कसक भर गये क्यूँ नयन
मान बहोट आनमना फिर उदासी वहीं
जाने कैसी हवायें चली शाम से
मान की उलझन कहे, दिल की धड़कन कहे
आज उसने पुकारा मुझे नाम से
मान बहोट आनमना फिर उदासी वहीं
Written by: JAI SHANKAR MISHRA, SANDEEP BANERJEELyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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