Husn Ko Chand Jawani Ko
Hariharan
हुस्न को चाँद जवानी को कमाल कहेते हैं
हुस्न को चाँद जवानी को कमाल कहेते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो गाज़ल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो गाज़ल कहते हैं
हुस्न को चाँद
अफ वो मरमर से तराशा हुआ सफ़फफ़ बदन
अफ वो मरमर से तराशा हुआ सफ़फफ़ बदन
देखने वेल उससे ताज महल कहते हैं
देखने वेल उससे ताज महल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो गाज़ल कहते हैं
हुस्न को चाँद
पड़ गयी पाओं में तक़दीर की ज़ंजीर तो क्या
पड़ गयी पाओं में तक़दीर की ज़ंजीर तो क्या
हम तो उसको भी तेरी झूलफ का बाल कहते हैं
हम तो उसको भी तेरी झूलफ का बाल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो गाज़ल कहते हैं
हुस्न को चाँद
मुझको मालूम नही इसके शिवा कुछ भी कटी
मुझको मालूम नही इसके शिवा कुछ भी कटी
जो साझी वस्त्र में गुज़ारे उसके पल कहते हैं
जो साझी वस्त्र में गुज़ारे उसके पल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो गाज़ल कहते हैं
हुस्न को चाँद जवानी को कमाल कहेते हैं
हुस्न को चाँद जवानी को कमाल कहेते हैं
Written by: Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind
Create your own version of your favorite music.
Sing now