Yeh Kis Ki Sada Hai
Bhupen Hazarika
यह किस की सदा है
यह किस की सदा है
घूंज रही है
किस की सदा है
किस की सदा है
वाही की सीमा पे
पहाड़ के पार से
दर्द आज कह रहा है
यह किस की सदा है
यह किस की सदा है
घूंज रहा है
किस की सदा है
किस की सदा है
कानो में घूँजती है
जाने कौन है
घेरे अंधेरे
में कोई भी नही
आँखों से सुनता
हूँ देखता भी हूँ
शायद अंधेरा है
देख रहा हूँ
किस की सदा है
घूंज रहा है
किस की सदा है
किस की सदा है
नानी की कहानी
में रोटी महारानी
बिरहा की मारे
कोई रोटी बिचारी
भूखा है कोई
प्यासा है शायद
जाना सा फसाना है
घूंज रहा है
किसकी सदा है
घूंज रहा है
किस की सदा है
किस की सदा है
नानी महारानी
और बिरहा की बाहें
सारे के सारे
खामोश हो गये
दर्द को मोट की
नींद आ गयी
मोट का सन्नाटा
है घूंज रहा है
किस की सदा है
घूंज रहा है
किस की सदा है
किस की सदा है
धुआँ धुआँ कोहरे
वाली चादर जलके
पर्बतो के सूरज
पे खेमा लगाया
वादियों में रोशनी
का लावा भरके
अंधेरे की नींद
से लोगो को जगाया
और तेरी होश
की जाप सुनी है
और तेरी होश
की जाप सुनी है
घोर काहे शोर
पे घूंज रहा है
किस की सदा है किस की सदा है
वादी की सीमा भी
पहाड़ के पार से
दर्द आज कह रहा है
यह किस की सदा है
यह किस की सदा है
घूंज रहा है
किस की सदा है
किस की सदा है
Written by: Dr Bhupen Hazarika, GulzarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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