Jab Bhi Dekhoon Tu Kanha Ke

Laxmikant Pyarelal, Asha Bhosle

ऊ हो ऊ हरी निगोडी लेके रहती कान्हा को दुख देती उनके मीठे मीठे होतो का तू चुंबन लेती जब भी देखु तू कान्हा के मुख से लगी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू जब भी देखु तू कान्हा के मुख से लगी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू उनकी सांसो मे घुल मिल के उनके संग संग गति सात सुरो वाली नागन तू हमारी पारित चुराती राधा मोहन के तू बीच आके खड़ी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू कान्हा के मुख से लगी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू आधार की सेज पे सोक शाम को कहे सताती आधार की सेज पे सोक शाम को कहे सताती नाचती एक पग पर उनको पॅव उनसे तू डब्वाती आधी रत को अपनी धुन से हुमको भी हिचकिलटी खुद चिपकी रहती होतो से और हुमको तरसाती, हाथ धोके तू क्यू हमारे पिच्चे पड़ी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू तू कान्हा के मुख से लगी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू जब भी जौ मई मधुबन मे ऐसी आती मेरे मान मे जब भी जौ मई मधुबन मे ऐसी आती मेरे मान मे छीन के शाम से तुझको डुबो डू ज़मुना जल मे तुझको जादू टोना करते देखा हुँने आँखो तेरे ज़िगर मे सात छेद तो हमारे ज़िगर मे लखो भरम आते है मोहन का मान हर घड़ी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू कान्हा के मुख से लगी मुरली तू सौतन हमारी बड़ी जब भी देखु तू

Written by: Bharat Vyas, Laxmikant PyarelalLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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