Mirza Ve

Asees Kaur

शहरे दिल की रौनक तू ही तेरे बिन सब खाली मिर्ज़ा तू ही बता दे कैसे काटू रात फिराखा वाली मिर्ज़ा मिर्ज़ा वे सुन जा रे वो जो कहना है कब से मुझे शाहिद हैं सैयाँ रे इक पल मैं ना भूला तुझे मिर्ज़ा तेरा कलमा पढ़ना मिर्ज़ा तेरी जानिब बढ़ना तेरे लिए खुदा से लड़ना मिर्ज़ा मेरा जीना-मरना सिर्फ़ तेरे इशारे पे है ऊओ सिर्फ़ तेरे इशारे पे है ओ ख़ुदाया सीने में ज़ख़्म इतने सारे हैं जीतने तेरे अंबार पे तारे जो तेरे समंदर हैं मेरे आँसुओं से ही हो गये हैं खारे-खारे मिर्ज़ा वे सुन जा रे वो जो कहना है कब से मुझे शाहिद हैं सैयाँ रे इक पल मैं ना भूला तुझे मिर्ज़ा तेरा कलमा पढ़ना मिर्ज़ा तेरी जानिब बढ़ना तेरे लिए खुदा से लड़ना मिर्ज़ा मेरा जीना-मरना सिर्फ़ तेरे इशारे पे है ऊओ सिर्फ़ तेरे इशारे पे है

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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