Man Ke Darpan Men Chehra

Anuradha Paudwal, Hariharan

मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका इन निगाहो को अब और क्या चाहिए आपने बढ़के मुझको सहारा दिया आपने बढ़के मुझको सहारा दिया मेरी बाहो को अब और क्या चाहिए मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका मन के दर्पण मे मैने माँगा था गुल गुलसिटा मिल गया मैने माँगा मैने माँगा था गुल गुलसिटा मिल गया एक जर्रे को सारा जहा मिल गया आपसे मिल के मुझको सभी कुछ मिला आपसे मिल के मुझको सभी कुछ मिला मेरी चाहो को अब और क्या चाहिए आपने बढ़के मुझको सहारा दिया आपने बढ़के मुझको सहारा दिया मेरी बाहो को अब और क्या चाहिए मान के दर्पण मे चेहरा खिला आपका मान के दर्पण मे खो गयी है उजालो मे मेरी नज़र खो गयी है खो गयी है उजालो मे मेरी नज़र आ गयी प्यार की मुस्काती सहेर हर कदम पर बहारो की मंज़िल मिली हर कदम पर बहारो की मंज़िल मिली मेरी राहो की अब और क्या चाहिए आपने बढ़के मुझको सहारा दिया आपने बढ़के मुझको सहारा दिया मेरी बाहो को अब और क्या चाहिए मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका इन निगाहो को अब और क्या चाहिए (इन निगाहो को अब और क्या चाहिए) मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका (मन के दर्पण मे चेहरा खिला आपका)

Written by: Jaidev, Naqsh LyallpuriLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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