मौला
ये किस डगर पे चल पड़ी है ज़िंदगी
ये किस डगर पे चल पड़ी है ज़िंदगी
हर तरफ है बेबसी ही बेबसी
एक पल नही दिल को करार
इस बाज़ी मे जीत के भी है हर
के हर साँस मे ग़म छुपा
ओ मौला ये बता ये ज़िंदगी है क्या
ओ मौला ये बता ये ज़िंदगी है क्या
ग़म सीने मे ठहरा है अंधेरा और भी गहरा है
मौला
ग़म सीने मे ठहरा है अंधेरा और भी गहरा है
साँसे आती जाती है लेकिन हर साँस पे पहरा है
ना मंज़िल की है खबर ना मंज़िल की है खबर
ना राहो का ही है पता
ओ मौला ये बता ये ज़िंदगी है क्या
ओ मौला ये बता ये ज़िंदगी है क्या
अब जाएँगे कौन से दर फूँक दिया अपना ही घर
अब जाएँगे कौन से दर फूँक दिया अपना ही घर
रब जाने कमजोर हू मैं या के मैं हू ताकतवर
ना मंज़िल की है खबर ना मंज़िल की है खबर
ना राहों का ही है पता
ओ मौला ये बता ये ज़िंदगी है क्या
ओ मौला ये बता ये ज़िंदगी है क्या
आ मौला मौला
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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