Rehti Thi Main Bezarsi
अमित कुमार, जन्वी शिमंकार
रहती थी मैं बेज़ारसी
रब से रूठे यार सी
मैं अकेली थी अकेली
आके तुम मुझसे मिल गए
बर्फ पे धुप से ढल गए
रहती थी तू बेज़ारसी
रब से रूठे यार सी
तू अकेली थी अकेली
आके तू मुझसे मिल गयी
बर्फ पे धुप से ढल गए
कितनी तमन्ना कितनी इबादत
जीने की मुझ में कितनी है चाहत
कितनी तमन्ना कितनी इबादत
जीने की मुझ में कितनी है चाहत
ज़िन्दगी से अब सुलह हो गयी
तुम मिले तो सुबह हो गयी
तुम मिले तो सुबह हो गयी
क्या ढूंढता था किसको पता था
आके तुम्ही से मिलना लिखा था
क्या ढूंढता था किसको पता था
आके तुम्ही से मिलना लिखा था
ज़िन्दगी से अब सुलह हो गयी
तुम मिले तो सुबह हो गयी
तुम मिले तो सुबह हो गयी
रहती थी तू बेज़ारसी
रब से रूठे यार सी
तू अकेली थी अकेली
आके तू मुझसे मिल गयी
बर्फ पे धुप से ढल गए
तुम मिले तो सुबह हो गयी
तुम मिले तो सुबह हो गयी
तुम मिले तो सुबह हो गयी (तुम मिले तो सुबह हो गयी)
तुम मिले तो सुबह हो गयी (तुम मिले तो सुबह हो गयी)
Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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