Muqaddar Ka Badshaah

Amit Kumar

जालिमो के ज़ुल्म की आग मे जला आसुओ को पी गया काटों पे चला ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए बन गया मैं बन गया मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह जालिमो के ज़ुल्म की आग मे जला आसुओ को पी गया काटों पे चला ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए बन गया मैं बन गया मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह ढोंगी पापी अधर्मी को भगवान कहा लोगो ने देश को जिसने लूटा उसे महान कहा लोगो ने लूट के ऐसे लुटेरो से मैने दिया तो ग़रीबो को अपने हाथो से जो सवरा बिगड़े हुए नसीबों को तो क्या ये नाइंसाफी है क्या ये पाप है क्या ये गुनाह है बोलो परदा सबके चेहरे से उठाने के लिए ली है जो कसम उसे निभाने के लिए ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए बन गया मैं बन गया मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह आ आ आ आ आ आ जब बहन की आबरू लूटने लगे आ आ आ आ जब बहन की आबरू लूटने लगे दर्द के पहाड़ मुझपे टूटने लगे मैं कैसे चुप रहता कितने सितम सहता बोलो क़ानून के वेह्शी दरिंदो ने इतना मजबूर किया मैने अपने हाथो से ज़ंजीरो को तोड़ दिया दुश्मनों को खाक मे मिलने के लिए प्यास उनके खून से बुझाने के लिए ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए बन गया मैं बन गया मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह जालिमो के ज़ुल्म की आग मे जला आसुओ को पी गया काटों पे चला ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए बन गया मैं बन गया मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह

Written by: SAMEER, VIJAY KALYANJI SHAHLyrics © Royalty Network, Sentric MusicLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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